डॉ. विमल कुमार पाठक सिरिफ एक साहित्यकार नइ रहिन। उमन अपन जिंदगी म आकाशवाणी म उद्घोषक, मजदूर नेता, कॉलेज म प्रोफेसर, भिलाई स्टील प्लांट म कर्मचारी, पत्रकार अउ कला मर्मज्ञ संग बहुत अकन जवाबदारी निभाईन। आकाशवाणी रायपुर के शुरुआती दौर म उंखर पहिचान सुगंधी भैया के रूप म रहिस अउम केसरी प्रसाद बाजपेई उर्फ बरसाती भैया के संग मिलके किसान भाइ मन बर चौपाल कार्यक्रम देवत रहिन। एखर ले हटके एक किस्सा उमन बताए रहिन -27 मई 1964 के दिन आकाशवाणी रायपुर म वोमन ड्यूटी म रहिन अउ श्रोता मन बर सितार वादन के प्रसारण जारी रहिस। कान म लगे माइक्रोफोन म एक म सितार वादन सुनत रहिन तो दूसरा ह दिल्ली ले जुड़े रहिस। एती सितार वादन के रिकार्ड बजते रहिस के अचानक माइक्रोफोन म दिल्ली ले सूचना आईस कि ”हमारे देश के प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया।” तब के बरेा ओ मुश्किल हालात ल उमन कइसन अपन आप ल संभालिन अउ सितार वादन बंद करके नेहरूजी के निधन के सूचना देत श्रोता मन ल दिल्ली स्टेशन ले जोडि़न, ये प्रसारण जगत बर एक केस स्टडी हो सकत हावय।
एक दौर म डॉ. पाठक छत्तीसगढ राज्य आंदोलन के तहत भिलाई स्टील प्लांट म स्थानीय लोगन मन ल नौकरी म प्राथमिकता देहे बर बेहद मुखर रहिन, तब ओ मन पत्रकारिता घलोक करत रहिन अउ भिलाई स्टील प्लांट के परमानेंट मुलाजिम घलोक हो गे रहिन। दिन म नौकरी के बेरा अपन अफसर मन के हुकुम मानय अउ नौकरी के बाद ओही अफसर मन के घर मजदूर मन ल ले जाके धरना प्रदर्शन घलोक करवावंय अउ फेर ओखर खबर घलोक अपन अखबार म छापंय। ये अउ मजे के बात के अपन अखबार बर विज्ञापन घलोक भिलाई स्टील प्लांट से लेवंय। आज शायद एके मनखे अतेक ‘रोल’ एके संग नइ निभा पावंय।
भिलाई स्टील प्लांट के छत्तीसगढ़ी लोक कला महोत्सव के शुरूआत करे ले लेके ओला ऊंचाई देहे वाले तिकड़ी म रमाशंकर तिवारी, दानेश्वर शर्मा के संग तीसर सदस्य डॉ. पाठक रहिन। साहित्यकार के तौर म उंखर कलम हमेशा जीवंत रहिस। भिलाई इस्पात संयंत्र के नौकरी के संग उमन यश घलोक खूब कमाइन तो कई बार आलोचना के घेरे म घलोक रहिन। खास कर श्याम बेनेगल के धारावाहिक ”भारत एक खोज” म पंडवानी सुनात तीजन बाई के दृश्य म मंजीरा बजात बइठे म समकालीन लोगन मन हर उखर उपर कई सवाल उछाले रहिन।
बीते डेढ़ दशक म लगातार गिरत सेहत के बावजूद हमर जइसे पत्रकार मन ल ‘खुराक’ देहे बर उन हमेशा तैयार रहंय। पूरा हिंदोस्तान के बहुत से चर्चित हस्ति म न के संग ऊंखर कई अविस्मरणीय संस्मरण रहिस। हाल के कुछ दिन मन म उंखर सेहत लगातार गिरत रहीस। अब ऊंखर गुजरे के खबर आईस। जइसे उमन खुदे बताए रहिन कि उंखर अतीत आपाधापी ले भरे अउ संघर्षमय रहिस अउ बाद के दिन मन म उमन नाम-वैभव खूब कमाइन। फेर हकीकत ये हावय कि ए सब म भारी उंखर बेहद तकलीफदेह बुढ़ापा रहिस।
पहली तस्वीर कल्याण कॉलेज सेक्टर-7 म हिंदी के प्रोफेसर रहे डॉ. पाठक (बाएं से तीसर) के तत्कालीन सांसद मोहनलाल बाकलीवाल अउ कॉलेज कुटुंब के संग के हावय अउ दुसर तस्वीर सुपेला रामनगर म ओ जगह के हावय, जिहां आज शासकीय इंदिरा गांधी उच्चतर माध्यमिक शाला हावय। 1967 म उहां एक निजी स्कूल चलत रहिस अउ ”वक्त” फिल्म के सुपरहिट होए के ठीक बाद बलराज साहनी अपन जोहरा जबीं (अचला सचदेव) के संग भिलाई स्टील प्लांट के कार्यक्रम म आए रहिन। निजी स्कूल के बुजुर्ग संचालक हर पत्रकार विमल पाठक के माध्यम ले अनुरोध भिजवाइन त बलराज साहनी टाल नइ सकिन अउ अगले भिनसरहा बच्चा मन बर मिठाई अउ तोहफा लेके स्कूल आ पहुंचिन। तस्वीर म बलराज साहनी के पीछू अचला सचदेव अउ ऊंखर ठीक बाजू पत्रकार पाठक अउ ऊंखर बाजू स्व. डीके प्रधान नजर आवत हें। स्व. प्रधान देश के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के बड़ी मौसी के बेटा रहिन अउ इहां भिलाई स्टील प्लांट म अफसर रहिन।
मो. जाकिर हुसैन के मूल हिन्दी पोस्ट के छत्तीसगढ़ी अनुवाद संजीव तिवारी द्वारा